चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार राज्य में उच्चतर शिक्षा को रोजगारपरक बनाने के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव करेगी। सरकार ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से इसके लिए सुझाव मांगे हैं। आज चंडीगढ़ में हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद व हरियाणा विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय द्वारा सयुंक्त रूप से ‘नैतिक मूल्य एवं रोजगार बढ़ाने वाली उच्चतर शिक्षा’ विषय पर कुलपतियों की कान्फ्रैंस आयोजित की गई थी।
कान्फ्रैंस के समापन अवसर पर हरियाणा के शिक्षा मंत्री श्री राम बिलास शर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि आहवान किया कि राज्य के प्रत्येक विश्वविद्यालय को शोध पर बल देना चाहिए तथा कुलपति यह संकल्प करें कि वे हर साल कम से कम 10 शोध ऐसे करवाएंगे जो कि समाज उपयोगी हों।
उन्होंने भारतीय शिक्षा पद्घति की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमारे देश में शिक्षक का समाज में हमेशा सम्मान रहा है परंतु वर्तमान भौतिकवादी एवं तकनीकी युग में उसी शिक्षक का विद्यार्थी अधिक सम्मान करेंगे जो खुद अपने विषय का ज्ञाता होगा और प्रतिभावान होगा। वर्तमान पीढ़ी का आई.क्यू बहुत ही तेज है इसलिए वह अच्छे-बुरे में जल्दी पहचान कर लेता है। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय व विश्वविद्यालय हीरे(युवा) तराशने की फैक्ट्रियां हैं, जैसा उनको शिक्षक द्वारा गढ़ा जाएगा वैसा ही बनेगा। उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों को कम से कम एक क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने का आहवान किया।
उच्चतर शिक्षा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती ज्योति अरोड़ा ने सभी कुलपतियों से पाठ्यक्रम में रोजगारपरक परिवर्तन करने के लिए सुझाव मांगे और कहा कि कुछ लघु अवधि के कोर्स तैयार करें जिसको महाविद्यालय में पढऩे वाले विद्यार्थी अपनी डिग्री पूरी करते ही कुछ न कुछ रोजगार पा सकें। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा महाविद्यालय व विश्वविद्यालयों के साथ कई उद्योगों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं ताकि विद्यार्थी प्रायोगिक ज्ञान हासिल कर सकें। उन्होंने उच्चतर शिक्षा के संस्थानों से पुराने सफल विद्यार्थियों के साथ तालमेल बनाने की बात कही जिससे नई पीढ़ी उनसे प्रेरणा ले सके। इससे उनकी जॉब प्लेसमैंट में भी सहायता मिलेगी।
हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के चेयरमैन श्री बी.के कुठियाला ने शिक्षकों को शिक्षा के क्षेत्र का यौद्घा बताते हुए कहा कि वे उच्चतर शिक्षा में ऐसा माहौल बनाएं कि हरियाणा पूरे देश में रोल मॉडल बनकर उभरे। उन्होंने कहा कि वे ऐसे गुणवत्तापरक कार्य करें कि शिक्षा और शिक्षक का सम्मान बढ़े।
विषय-विशेषज्ञ श्री कश्मीरी लाल जी ने कहा कि हर विश्वविद्यालय को अपने खास शोध का पेटेंट करवाना चाहिए परंतु वह पेटेंट ऐसा होना चाहिए जो समाज उपयोगी हो। उन्होंने उच्चतर शिक्षा में नैतिकता पर बल देते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों को अपने आस-पास के लोगों की समस्याओं को दूर करने में भी भूमिका निभानी चाहिए।
विषय-विशेषज्ञ श्री सतीश जी ने कुलपतियों से आहवान किया कि वे युवाओं को ऐसी शिक्षा दें जिससे ‘रोजगारयुक्त हरियाणा-बेरोजगारमुक्त हरियाणा’ बनाने का लक्ष्य पूरा हो सके। उन्होंने शिक्षा को उद्योग, सर्विस-सैक्टर तथा विनिर्माण क्षेत्र से जोडऩे पर बल दिया ताकि युवाओं को महाविद्यालय या विश्वविद्यालय की पढ़ाई के बाद रोजगार मिल सके।
इस अवसर पर कुलपतियों ने भी उच्चतर शिक्षा में नैतिक मूल्यों व रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए अपने-अपने विचार रखे तथा सुझाव दिए।