चंडीगढ़ : हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग में फैले व्यापक भ्रष्टाचार की गम्भीरता को देखते हुए नेता विपक्ष अभय सिंह चौटाला ने मांग की है कि आयोग को तुरंत भंग किया जाए और समूचे मामले की तह में जाने के लिए मुख्यमंत्री सीबीआई की जांच करवाएं।
नेता विपक्ष ने कहा कि अब जब आयोग के आठ कर्मचारी गिरफ्तार हो चुके हैं और समाचारों से यह स्पष्ट हो रहा है कि पुलिस रिपोर्ट में कम से कम आयोग के एक सदस्य के सम्मिलित होने की सम्भावना के साथ अन्य लोगों के शामिल होने की भी सम्भावना है, तो यह आवश्यक हो जाता है कि इस मामले की जांच किसी उच्चस्तरीय एजेंसी से करवाई जाए। उन्होंने याद दिलाया कि पिछले विधानसभा सत्र में आयोग के अध्यक्ष भारत भूषण भारती के विरुद्ध एक ऑडियो सीडी पेश की गई थी जिसमें एक नगरपालिका के अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए उनके बेटे ने 50 लाख रुपए लिए थे। उस समय नेता विपक्ष ने जब जांच की मांग की तो मुख्यमंत्री ने दावा किया था कि आयोग के अध्यक्ष बहुत ईमानदार व्यक्ति हैं। मुख्यमंत्री के ऐसा कहने के पश्चात हरियाणा पुलिस द्वारा किसी निष्पक्ष जांच की सम्भावना अपने आप ही घट जाती हैं।
अभय सिंह चौटाला ने कहा कि अब आयोग के आठ कर्मचारियों की गिरफ्तारी हो चुकी है और यह सबूत मिल रहे हैं कि न केवल नौकरियां दिलवाने के लिए बल्कि उम्मीदवारों को उनकी पसंद के महकमे दिलवाने के लिए भी रिश्वत ली जाती थी। ऐसे में यह आवश्यक है कि इस मामले की सारी जांच सीबीआई को सौंप दी जाए क्योंकि उस पर राज्य सरकार का कोई दबाव नहीं होगा। इस कांड से भाजपा की यह पोल भी खुल गई है कि मनोहर लाल खट्टर की सरकार भ्रष्टाचारमुक्त है और राज्य में नौकरियां योग्यता और निष्पक्षता के आधार पर दी जाती हैं।
इनेलो नेता ने कहा कि भ्रष्टाचार में भाजपा सरकार किस प्रकार भ्रष्टाचारियों का संरक्षण करती है इसका उदाहरण उदार-गगन कांड से स्पष्ट हो रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि जब पिछले विधानसभा सत्र में यह मामला सदन में उठाया था तो मुख्ममंत्री ने घोषणा की थी कि वे इसकी जांच सीबीआई द्वारा करवाएंगे। किन्तु विधानसभा को आश्वासन देने के पश्चात भी उन्होंने ऐसा करने की बजाय एक ऐसे जांच आयोग के गठन की घोषणा कर दी है जिसकी न तो कोई वैधता है और न ही जिसके पास गवाही के लिए किसी को बुलाने का अधिकार है। ऐसे में स्पष्ट है कि उदार-गगन के दोषियों को भाजपा सरकार बचाना चाहती है।
नेता विपक्ष ने कहा कि विधानसभा में दिए गए आश्वासन के विपरीत किसी अन्य जांच की घोषणा विधानसभा की अवमानना भी है और इसे गम्भीरता से लेते हुए उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को एक पत्र लिखकर आग्रह किया है कि विशेषाधिकार के हनन का मामला मुख्यमंत्री के विरुद्ध बनाया जाए।
इनेलो नेता ने सरकार पर यह आरोप भी लगाया कि वह एसवाईएल के मुद्दे को गम्भीरता से नहीं ले रही और यह प्रयास कर रही है कि ऐसे विवादों में इस मुद्दे को उलझा दिया जाए जिससे राज्य को उसके अधिकार का पानी न मिल सके। उन्होंने कहा कि एसवाईएल का मुद्दा बड़ा सीधा और सरल है जिसमें नहर के निर्माण कार्य को पूरा कर उसके अधिकार का पानी हरियाणा के खेतों में लाना है। किसी भी सरकार की यह प्राथमिकता होनी चाहिए कि इस विषय में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को लागू कर हरियाणा को न्याय दिलवाया जाए। परंतु भाजपा पाकिस्तान में जा रहे जल के मुद्दे को इसके साथ जोडक़र मुख्य मुद्दे से राज्य के किसानों को भटकाना चाहती है परंतु इनेलो और राज्य के किसान सरकार के इस मन्सूबे को सफल नहीं होने देंगे। इनेलो एक मई से इस मुद्दे को लेकर गिरफ्तारियां भी दे रही है और यह संघर्ष तब तक चलेगा जब तक एसवाईएल से उसके अधिकार का पानी नहीं मिल जाता। पे्रसवार्ता में इनेलो प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा, पूर्व सीपीएस रामपाल माजरा, विधायक रणबीर गंगवा, केहर सिंह रावत, आरएस चौधरी, एमएस मलिक व प्रवीण आत्रेय सहित पार्टी के अन्य नेता भी मौजूद थे।